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अंधविश्वास से सच्चाई की और मार्गदर्शन

हिन्दू धर्म में अभी आप सबसे ज्यादा अंधविश्वास और पाखंड चर्म सिमा पर है इससे हमें बहुत दुःख होता है कि आज कल मंदिर मस्जिद मूर्ति पूजा बहुत जोर शोर से चल रहा है इसी कारण हिन्दू धर्म हमारे पवित्र सधग्रंथ से पूरा अलग हो चुका है। हिन्दू समाज का वेदों से अलग होने का कारण असल में हिंदुओं ने अपने इतिहास को गाकर, रटकर और सूत्रों के आधार पर मुखाग्र जिंदा बनाए रखा। यही कारण रहा कि वह इतिहास धीरे-धीरे काव्यमय और श्रृंगारिक होता गया जिसे आधुनिक लोग इतिहास मानने को तैयार नहीं हैं। वह समय ऐसा था जबकि कागज और कलम नहीं होते थे। इतिहास लिखा जाता था शिलाओं पर, पत्थरों पर और मन पर। जिससे कि हिंदुओं का अपने धर्म की अपेक्षा अंधविश्वास पर ज्यादा विश्वाश बड़ गेया। वेदों से अलग होकर अंधश्रद्धा की और बढ़ना हिन्दू धर्म के लोग जैसे जैसे वेदों से अलग होते गए वैसे ही अंधविश्वास की ओर अग्रसर हिट गए जिससे कि एक पवित्र धर्म के लोगो मे अपने धर्म के खिलाफ ही अविश्वास उत्पन्न होता गया। हिन्दू धर्म की जड़ो को अंधविश्वास रूपी कीड़े ने धीरे धीरे खत्म करना शुरू कर दिया। पहले तो हिन्दू धर्म के लोगो पर इसका प्रभाव बहु...

शिक्षा के द्वारा अंधविश्वास का खात्मा

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि हमारा समाज धार्मिक ठोंग पाखंड और अंधविश्वास की बेड़ियों में लोभी और गुमराह मुल्लाओं , पंडितों ,भगवानो द्वारा जकड़ा हुआ समाज है | अधिकतर तो जाहिल इनका शिकार होते हैं लेकिन मैंने धर्म और आस्था के नाम पे बड़े बड़े पढ़े लिखों को इसका शिकार होते देखा है |चमत्कारी बाबाओं और भगवानो द्वारा महिलाओं के शोषण की बातें हमेशा से प्रकाश में आती रही हैं और धन तो इनके पास  दान का इतना आता है कि जिसे यह खुद भी नहीं गिन सकते | इसके दोषी केवल यह बाबा ,मुल्ला या  भगवान् नहीं बल्कि हमारा यह भटका हुआ  समाज है जो किरदार की जगह चमत्कारों से भगवान् को पहचानने की गलती किया करता है|   शायद हम आज यह ही नहीं पहचान पा रहे हैं की हमारा अल्लाह, भगवान् या ईश्वर कौन है ? हर वो ताकात जिससे हम डर जायें या हर वो चमत्कार जो हमारी समझ मी ना आये उसे भगवान् या खुदा बना लेने की गलती ही हमें गुमराह करती है | यह बात साफ़ है की यह सारे ढोंग ,पाखंड धर्म का हिस्सा नहीं और इनपे विश्वास अंधविश्वास है | आप कह सकते हैं की जिस बात का कोई सम्बन्ध धर्म से ना हो उसी को ...

पाखंडवाद

पाखंडवाद आज हमारे देश के चरम सीमा पर है।पाखण्ड को खत्म करने के लिए  हमें बहुत ही जल्दी कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है नहीं तो हो सकता है कि ये हमें भगवान से जोड़ने के बजाय हमें भ...