पाखंडवाद
पाखंडवाद आज हमारे देश के चरम सीमा पर है।पाखण्ड को खत्म करने के लिए हमें बहुत ही जल्दी कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है नहीं तो हो सकता है कि ये हमें भगवान से जोड़ने के बजाय हमें भगवान से इतना दूर कर दे कि हम 84 लाख योनियों में भटकते रहे।
इसी लिए कबीर साहेब कहते हैं
मनुष्य जन्म अनमोल है मिले ना बारम्बार।
तरवर से पता टूट गिरे बहुर ना लगता दर।।
इसी प्रकार एक पाखंड "बद्रीनाथ" मे भी देखा जा सकता है । जहा जून, 2013 में उत्तराखंड में विपदा आई तो हजारों लोग इसी धाम से पानी में बह गए, जिनकी अस्थियां अभी तक नहीं मिल पाई हैं। लेकिन बद्रीनाथ जी इन असहाय श्रद्धालुओं की कोई भी मदद नहीं कर पाए और हजारों परिवारों को रोता-बिलखता छोड़ दिया। उसके बाद प्रचार किया गया कि वहां वहा यह विपदा इसलिए आई कि वहां पर एक मंदिर को तोड़ दिया गया था, लेकिन उस मंदिर को तोडऩे वाले ये श्रद्धालु तो नहीं थे। फिर इनको सजा किस कसूर की मिली है और जो मंदिर को तोडऩे वाले थे, उनको सजा क्यों नहीं दी गई। इस बात का उत्तर बद्रीनाथ जी को देना चाहिए। अभी यही पाखंडी लोग प्रचार करने में लग जाएंगे कि जो श्रद्धालु लापता हो गए या स्वर्ग सिधार गए, वो सब मोक्ष को प्राप्त हो गए हैं या स्वर्ग चले गए हैं ताकि इन पाखंडियों की दुकान भविष्य में भी चलती रहे लेकिन उन पाखंडियों से पूछने वाला कोई नहीं, जो प्रतिवर्षइस धाम का 126 करोड़ का चढ़ावा डकार जाते हैं। इसी तरह हमे मूर्ति पूजा शास्त्र विरुद्ध साधना बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे हमें कोई लाभ नहीं मिलता हैं।।
और इसी पाखण्ड को खत्म करने के लिए बीड़ा उठाया है
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने इसमें आप सभी इनका सहयोग करे ।
अधिक जानकारी के लिए पढ़ें अनमोल पुस्तक *ज्ञान गंगा*
और देखे साधना चेनल शाम 7.30 से 8.30 तक
Nice post
ReplyDeletethankx Bhai
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