बॉलीवुड समाज में सही या गलत:-
बॉलीवुड द्वारा समाज में कुछ भी सीखने लायक नहीं है बॉलीवुड में सभी तरह से सिर्फ और सिर्फ अश्लीलता फैलाई जा रही है इसके अलावा कुछ भी नहीं क्योंकि बॉलीवुड में आज जितने भी सभी नेता या अभिनेत्रियां काम करती है और सिर्फ समाज को अश्लील बनाने का काम हो रहा है किसी को ना तो इससे कुछ शिक्षा मिलती है और ना ही किसी समाज में बॉलीवुड की जरूरत है क्योंकि इससे नवयुवक सिर्फ और सिर्फ अश्लीलता दबंग गिरी की तरफ ही बढ़ रहा है चोरी डकैती और जितने भी बुरे काम हो रहे हैं यह सब बॉलीवुड में आ रही फिल्मों को देखकर सीखते हैं
आजकल फिल्मों की हल्के मनोरंजन के साधन के रूप गिनती नही होती है । आज फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं । बच्चे-बूढ़े सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते हैं ।
सामान्यत: बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चे तथा किशोर फिल्मेनिया से प्रभावित होते हैं । वीडियो के आविष्कार के बाद, नई फिल्म के प्रथम शो का घर बैठे-बैठे ही आनंद उठा लिया जाता है । लेकिन फिर भी फिल्मों के प्रति आकर्षण का भाव किसी भी प्रकार कम नहीं हुआ है ।
प्राय: नगर में चल रही किसी लोकप्रिय फिल्म से प्रेरित होकर लूटमार अथवा अपहरण की घटनाएं सुनने में आती हैं । शहर अथवा सड़क पर गुंडो का उपद्रव भी किसी फिल्म से प्रभाव लेकर युवा वर्ग द्वारा उत्पन्न किया जाता है । अत: आज समाज में व्याप्त कई बुराइयों और समस्याओं की जड़ फिल्में ही है ।
कुछ फिल्मों से समाज तथा युवा-वर्ग पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है । सामाजिक विषयों से संबंधित फिल्में युवावर्ग में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और मानव-मूल्यों का प्रसार करती हैं । ऐसी फिल्में जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा देती है ।
लेकिन फिल्मों के कुप्रभावों की संख्या ही अधिक है । युवा-वर्ग को हिंसा-प्रधान फिल्ममें ही अच्छी लगती है । आज यदि वे अपने प्रिय नायक-नायिकाओं का पदानुसरण करते हैं, तो इसके लिए पूर्णत: उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है । सारा दोष फिल्मों और फिल्म-निर्माताओं का है ।
फिल्मों ने हमारे सामाजिक जीवन को विकृत कर दिया है । इसमें सुधार लाने के लिए सामाजिक उद्देश्य प्रधान फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है । ऐसी फिल्मी ऊबाऊ नहीं होनी चाहिए, क्योंकि दर्शक वर्ग उनके प्रति आकर्षित नहीं होगा । इसलिए सामाजिक संदेश वर्ग उनके प्रति आकर्षित नही होगा । इसलिए सामाजिक संदेश की फिल्में भी मनोरंजन से भरपूर होनी चाहिए । मार्गदर्शन भी होना चाहिए ।
युवा वर्ग देश का भावी निर्माता है, उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उन फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्मिलित पुट है । हिंसा की भावना समाज की प्रगति में बाधक है ।
कई संस्थाओं द्वारा अश्लीलता को रोकने के विफल प्रयास:-
समाज में बहुत सी संस्थाओं द्वारा समाज में फेल रहे अश्लीलता और समाज जो गलत दिशा में जा रहे है उसे रोकने के लाखों प्रयास करने पर भी समाज को इस कीचड़ की और जाने से नहीं रोक पा रहे हैं कहीं एनजीओ द्वारा चलाए गए अभियानों मैं भी यह समझाया जाता है की समाज को पुरातत्व संस्कारों द्वारा सामाजिक कार्य करना चाहिए लेकिन आजकल के समाज मैं संस्कारों के नाम पर सिर्फ और सिर्फ अश्लीलता और नग्नता ही पेश की जाती है और ऐसे में समाज को कोई दिशा नहीं दिखाई जा सकती ऐसे लाखों प्रयास करने पर भी समाज में किसी को भी ऐसाा करने मैं दिलचस्पी नहीं रहती पूरा सभ्य समाज यह सोचता है कि हम जो कर रहे हैं यही सही है ना किसी की सुनते हैं और जो करते कई सरकारोंं द्वारा ऐसी अश्लीलता फैलाने पर रोक लगाने के लिए कई प्रबंध किया जाता है जैसे शादियों में डीजे बजाना रोकने पर भी जो सक्षम होते हैं वह सरकारोंं को रिश्वत खिलाकर कुछ भी कर सकते हैं ऐसे में सभी संस्थाओं द्वारा विफल प्रयास ही कर सकते हैं समााज को अश्लीलता सेे बचा सभी समाज की ओर ले जाने के लिए बहुत प्रयास करने पड़ेंगे तभी जाकर समाज को अश्लीलता से बचाकर सभ्य समाज की ओर ले जाया जा सकता है ।
आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा समाज को दिशा निर्देश:-
कई बार देखा गया है कि बहुत से प्रयासों के बाद भी समाज में फैली अश्लीलता को रोकने के लिए बहुत से प्रयासों के बाद भी इसे फैलने से नहीं रोका जा सकता लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा जिससे पता चलता है कि समाज को किस ज्ञान की जरूरत है और समाज किस दिशा में जा रहा है समाज को आज के समय में सिर्फ संत रामपाल जी महाराज ऐसा ज्ञान बता रहे हैं जिससे समाज में फैली बुराइयां और भी तरह की अन्य कुरीतियां को समाज में फैलने से रोकने के लिए संत रामपाल जी महाराज पूर्ण रूप से सहयोग दे रहेे हैं और उनके द्वारा किए गए प्रयास भी सफल हो रहे हैं और समाज मेंं फैली बुराइयों को फैलने से सिर्फ संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से ही रोका जा सकता है उनके द्वारा और उन से लिए गए नाम उपदेश में सर्वप्रथम नियम आते हैं कि नशा नहीं करना है बुराइयां छोड़नी है दहेज नहीं लेना है और भी किसी तरह की पाखंड पूजा और समाज में फैले अश्लीलता को रोकनेे के लिए पूर्ण रूूप से इनके ज्ञान द्वारा ही रोका जा सकता है आज समाज में संत रामपाल जी महाराज के द्वारा लिए गए नाम उपदेश से कोई भी सच है नशा रिश्वतखोरी दहेज लेना शादियों में अश्लीलता गानों पर नाचना बिल्कुल भी नहीं करते हैं और उनके द्वारा निर्माण किए गए इस समाज में बहुत ही सभ्य और साधारण तरीके से शादी हो जाती है से पता चलता है कि समाज में इनके द्वारा दिए गए ज्ञान से ही समाज में फेली बुराई को रोका जा सकता है।
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