मजदूरों का शोषण
भारत देश में मजदूरों की मजदूरी के बारे में बात की जाए तो यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है, आज भी देश में कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जाता है। यह भी मजदूरों का एक प्रकार से शोषण है। आज भी मजदूरों से फैक्टरियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है लेकिन उन्हें मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी पकड़ा दी जाती है, जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। भारत में अशिक्षा का एक कारण मजदूरों को कम मजदूरी दिया जाना भी है। आज भी देश में ऐसे मजदूर हैं जो 1500-2000 मासिक मजदूरी पर काम कर रहे हैं। यह एक प्रकार से मानवता का उपहास है। बेशक, इसको लेकर देश में विभिन्न राज्य सरकारों ने न्यूनतम मजदूरी के नियम लागू किए हैं, लेकिन इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है और इस दिशा में सरकारों द्वारा भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और न ही कोई कार्यवाही की जाती है। आज जरुरत है कि इस महंगाई के समय में सरकारों को प्राइवेट कंपनियों, फैक्टरियों और अन्य रोजगार देने वाले माध्यमों के लिए एक कानून बनाना चाहिए जिसमें मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय की जानी चाहिए। मजदूरी इतनी होनी चाहिए कि जिससे मजदूर के परिवार को भूखा न रहना पड़े और न ही मजदूरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़े।
आज भी हमारे भारत देश में लाखों लोगों से बंधुआ मजदूरी कराई जाती है। जब किसी व्यक्ति को बिना मजदूरी या नाममात्र पारिश्रमिक के मजदूरी करने के लिए बाध्य किया जाता है या ऐसी मजदूरी कराई जाती है तो वह बंधुआ मजदूरी कहलाती है। आज भी जनसंख्या के कमजोर वर्गों के आर्थिक और वास्तविक शोषण को नहीं रोका जा सका है। संविधान की इस धारा के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को शोषण और अन्याय के खिलाफ अधिकार दिया गया है, लेकिन आज भी देश में कुछ पैसों या नाममात्र के गेहूं, चावल या अन्य खाने के सामान के लिए बंधुआ मजदूरी कराई जाती है, जो कि अमानवीय है। आज जरुरत है समाज और सरकार को मिलकर बंधुआ मजदूरी जैसी अमानवीयता को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने की।
हमारा समाज आज भी ऐसे ही दो वर्गों में बंटा हुआ है...एक वर्ग श्रम करता है जबकि दूसरा वर्ग श्रम करने वालों का खून चूसता है . श्रमिकों की संख्या के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है . भारत में 52 करोड़ श्रमिक हैं, जबकि चीन में इनकी संख्या 80 करोड़ से ज्यादा है . लेकिन आज भारत के करोड़ों श्रमिक चाहकर भी मेहनत नहीं कर पा रहे, क्योंकि Locdown की वजह से श्रम से जुड़ी सारी गतिविधियां बंद हैं . अलग-अलग जगहों पर फंसे मजदूर या तो अपने घर लौटना चाहते हैं या फिर अपने काम पर लौटना चाहते हैं . लेकिन अब धीरे धीरे स्थितियां बदलने लगी हैं
Comments
Post a Comment
पूर्ण परमात्मा की शास्त्रो के अनुसार जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को देखे।।