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शास्त्रों में पूर्ण गुरु कौन है ??

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पूर्ण गुरु की पहचान शास्त्रों द्वारा:- हमें पूर्ण गुरु की पहचान शास्त्रों के द्वारा ही की जा सकती है मानव जीवन को सफल बनाने के लिए और मानव जीवन से मोक्ष प्राप्त करने के लिए हमें पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। पूर्ण परमात्मा की भक्ति पूर्ण  गुरु से संभव है और गुरु बनाना मनुष्य जीवन में सभी मनुष्य को गुरु बनाना बहुत ही आवश्यक है और हमें पूर्ण गुरु से ही इस मनुष्य जीवन से मोक्ष प्राप्त हो सकता है और पूर्ण गुरु की पहचान करने के लिए हमें सभी धर्मों के सभी धर्म ग्रंथों का सहारा लेना चाहिए हिंदू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता मुस्लिम धर्म में पवित्र कुरान शरीफ ईसाई धर्म में बाइबल और सिख धर्म में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का सहारा लेकर यह पता किया जा सकता है की पूर्व गुरु की पहचान कैसे की जा सकती है हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता मैं स्पष्ट बताया है कि जो गुरु ।।उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को जड़ सहित स्पष्ट करके बता देगा वही पूर्ण गुरु है।। पुस्तक संतमत प्रकाश भाग 4 के पृष्ठ नंबर 261 पर लिखाा है सोई गुरु पूरा कहावे, दो अखर का भेद बतावे। एक छुड़ावै एक ला...

वर्तमान की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

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शिक्षा विभाग की वर्तमान स्थिति:- वर्तमान की जो भी शिक्षा व्यवस्था है उस पर सवाल उठाना सही है क्योंकि आजकल की जो शिक्षा एक व्यापार बनी हुई है और शिक्षा व्यापार और आरक्षण के कारण जो प्रतिभाशाली विद्यार्थी होते हैं वह अपनी प्रतिभा से वंचित रह जाते हैं कई बार ऐसा हुआ है की कोई विद्यार्थी 92% मार्क लाने वाला भी वह नौकरी नहीं पा सकता लेकिन आरक्षण के कारण 65% पाने वाला उसे वह नौकरी बिना किसी परेशानी के मिल जाती है इसीलिए शिक्षा व्यवस्था पर यह सवाल उठाना बिल्कुल भी गलत नहीं है पूरी शिक्षा व्यवस्था को खोकला करके रख दिया है शिक्षा सिर्फ और सिर्फ एक बिजनेस बनकर रह गई है सरकारी विद्यालयों में टीचर वैसे ही होते हैं जिन्हें आरक्षण के कारण व नौकरी मिली हुई होती है वर्तमान में शिक्षा पद्धति दो भागों में बांट कर रह गई है जिसमें शिक्षा सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के द्वारा दो भागों में बांट कर रख दिया है सरकारी स्कूल में सिर्फ गरीब वर्ग के परिवारों के लड़के ई शिक्षा ग्रहण करते हैं क्योंकि अमीर परिवारों को तो यह लगता है कि सरकारी स्कूलों में ना तो पढ़ाई होती है ना ही हमारे बच्चों का भविष्य बनता है इस...

संस्कारो का पतन और आध्यात्मिक ज्ञान से उत्थान

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वर्तमान में समाज के संस्कारों की स्थिति:- आज के समाज में संस्कारों की स्थिति बहुत ही भयानक हो चुकी है आजकल समाज में संस्कारों के नाम पर पूरा समाज अश्लील हो चुका है शादियों में संस्कारों के नाम पर पूरे घर की बहन बेटियां गंदे गंदे गानों पर पूरे परिवार के सदस्य हैं झुंड बन कर कैसे नाचते हैं और ऐसी अश्लीलता फैलाते हैं की घर की बहन बेटियों को कोई शर्म नहीं आती है और खुलेआम नाचती हैं पहले के जमाने में बहुत संस्कारी होते थे लेकिन जैसे-जैसे सभी कहते हैं कि जमाना बदल गया है और वैसे वैसे फैशन के नाम पर बिल्कुल कम कपड़े पहनना उसे एक तरह फैशन माना जाता है और फैशन के नाम पर पूरे समाज में ऐसी अश्लीलता फैलाई गई है किसके बारे में अगर किसी को कहा जाए तो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं है और ऐसा करने वाले मैं आपको बहुत इज्जत दार समझते हैं और शायद ही कोई ऐसा होगा जोकि आजकल के समाज में इन सब से बिल्कुल हटकर समाज में फैली वर्तमान के संस्कारों को पूरी तरह से नकार कर एक सभ्य समाज की स्थापना कर रहा हो ऐसा करने वाले को समाज में बहुत ही बुरी नजर से देखा जाता है और उसके खिलाफ बहुत ही गलत व्यहवार किया जाता है। ...

दहेज प्रथा का आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा निवारण

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दहेज प्रथा की वर्तमान स्थिति:- दहेज प्रथा आज हमारे समाज में इतना गहरा असर कर चुका है की आज समाज बहुत ही भयानक रूप ले चुका है दहेज से जो अमीर परिवारों के शादी होती है वही गरीब परिवार की स्थिति में जब मध्यमवर्ग के लोग अपनी बेटियों की शादी करते हैं। तो वह लोग भी वैसे ही धूमधाम से शादी करना चाहते हैं लेकिन पैसों की कमी के कारण वैसे नहीं कर पाते और सोचते हैं कि अगर ऐसे नहीं करेंगे तो हमारी इज्जत कम हो जाएगी और यही सोच कर अपने खेत या मकान को गिरवी रख कर किसी भी तरह उसी तरीके से शादी करने की कोशिश करते हैं और सोचते हैं कि समाज में हमारी इज्जत बनी रहे और ऐसा करने से उन्हें लगता है कि हम समाज में हमारी इज्जत रख रहे हैं समाज को लगता है और आकर वाह भाई करते हैं समाज के लोग यह नहीं समझ पाता है कि इन्होंने जो किया है वह उनकी आत्मा जानती है और वह दिन-ब-दिन यही सोचते रहते हैं की कर्जा कैसे उतारेंगे और यही सोच कर कभी-कभी तो कोई किसान या गरीब वर्ग के लोग आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं इसलिए दहेज प्रथा को पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए जो गरीब परिवारों और मध्यम वर्ग के लोगो...

मजदूरों का शोषण

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भारत देश में मजदूरों की मजदूरी के बारे में बात की जाए तो यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है, आज भी देश में कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जाता है। यह भी मजदूरों का एक प्रकार से शोषण है। आज भी मजदूरों से फैक्‍टरियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है लेकिन उन्हें मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी पकड़ा दी जाती है, जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। भारत में अशिक्षा का एक कारण मजदूरों को कम मजदूरी दिया जाना भी है। आज भी देश में ऐसे मजदूर हैं जो 1500-2000 मासिक मजदूरी पर काम कर रहे हैं। यह एक प्रकार से मानवता का उपहास है। बेशक, इसको लेकर देश में विभिन्न राज्य सरकारों ने न्यूनतम मजदूरी के नियम लागू किए हैं, लेकिन इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है और इस दिशा में सरकारों द्वारा भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और न ही कोई कार्यवाही की जाती है। आज जरुरत है कि इस महंगाई के समय में सरकारों को प्राइवेट कंपनियों, फैक्‍टरियों और अन्य रोजगार देने वाले माध्यमों के लिए एक कानून बनाना चाहिए जिसम...

मनुष्य जीवन में सबसे ज्यादा जरूरत किसकी होती है

मनुष्य जीवन में सबसे आवश्यक मानव जीवन को और उसकी दिनचर्या को चलाने के लिए उसे अन्न के साथ साथ बहुत ही जरूरी होता है कि उसकी दिनचर्या को चलाने के लिए मनुष्य जीवन का जो प्रथम कर्तव्य यह होता है कि उसे अपना जीवन चलाने के लिए सद्भक्ति भी जरूर करनी चाहिए। *शराब मनुष्य के जीवन का सम्पूर्ण विनाश करती है*। शराब पीने से मनुष्य में जो आंतरिक भावनाएं होती है वह पूरी नष्ट हो जाती है और उसे कुछ भी पता नहीं होता है कि क्या होगा आगे संत कबीर साहिब जी कहते हैं की मदिरा पीवे कड़वा पानी सत्तर जन्म स्वान(कुते) के जाने ।। इसीलिए जो भी मनुष्य शराब पीता है उसे 70 जन्म तक कुत्ते की योनि में कष्ट उठाने पड़ते हैं और मनुष्य को शराब तो बिल्कुल भी नहीं पीनी चाहिए महर्षि द्वारा शराब को राक्षसों का बताया गया है।। ।।पाखंड का विरोध करना भी मनुष्य जीवन में आवश्यक है।। पाखंड आज हमारे भारतवर्ष में बहुत ही ज्यादा और चरम सीमा पर है पाखंड आज हमारे भारतवर्ष में पूरी तरह से पांव पसार चुका है और पाखंड को खत्म करने के लिए पूर्ण संत की शरण में जाकर सत भक्ति करने से ही पाखंड का खात्मा किया जा सकता है श्रीमद भगवत गीता मैं जो भी ल...

अंधविश्वास से सच्चाई की और मार्गदर्शन

हिन्दू धर्म में अभी आप सबसे ज्यादा अंधविश्वास और पाखंड चर्म सिमा पर है इससे हमें बहुत दुःख होता है कि आज कल मंदिर मस्जिद मूर्ति पूजा बहुत जोर शोर से चल रहा है इसी कारण हिन्दू धर्म हमारे पवित्र सधग्रंथ से पूरा अलग हो चुका है। हिन्दू समाज का वेदों से अलग होने का कारण असल में हिंदुओं ने अपने इतिहास को गाकर, रटकर और सूत्रों के आधार पर मुखाग्र जिंदा बनाए रखा। यही कारण रहा कि वह इतिहास धीरे-धीरे काव्यमय और श्रृंगारिक होता गया जिसे आधुनिक लोग इतिहास मानने को तैयार नहीं हैं। वह समय ऐसा था जबकि कागज और कलम नहीं होते थे। इतिहास लिखा जाता था शिलाओं पर, पत्थरों पर और मन पर। जिससे कि हिंदुओं का अपने धर्म की अपेक्षा अंधविश्वास पर ज्यादा विश्वाश बड़ गेया। वेदों से अलग होकर अंधश्रद्धा की और बढ़ना हिन्दू धर्म के लोग जैसे जैसे वेदों से अलग होते गए वैसे ही अंधविश्वास की ओर अग्रसर हिट गए जिससे कि एक पवित्र धर्म के लोगो मे अपने धर्म के खिलाफ ही अविश्वास उत्पन्न होता गया। हिन्दू धर्म की जड़ो को अंधविश्वास रूपी कीड़े ने धीरे धीरे खत्म करना शुरू कर दिया। पहले तो हिन्दू धर्म के लोगो पर इसका प्रभाव बहु...